भगवत गीता श्लोक 01





धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥


एक छोटा बच्चा भी समझ पाए, इतना सहज सरल तरीके से 

इस श्लोक का मर्म, हमारे सारे बच्चे समझ पाए। 

एक छोटा सा प्रयास। मेरे तरफ से। बच्चों के लिए। 

Zarra Singh,,


            ।।धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।।


1. धर्मक्षेत्र: जहाँ सत्य और न्याय का पालन होता है।

2. कुरुक्षेत्र: जीवन का कर्मक्षेत्र, जहाँ हर इंसान को अपने कर्तव्यों का पालन करना होता है।

3."समवेता" का अर्थ है एकत्र होना या सामूहिक रूप से मिलकर किसी उद्देश्य के लिए तैयार होना।

4."युयुत्सवः" का अर्थ है संघर्ष की इच्छा या जीतने की प्रबल भावना।


(1. धर्मक्षेत्र परिभाषा:)

धर्मक्षेत्र वह स्थान है जहाँ सत्य, न्याय, और नैतिकता का पालन होता है।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जब आप स्कूल में अपने दोस्तों के साथ निष्पक्ष रहते हैं और सच बोलते हैं, तो वह जगह आपका "धर्मक्षेत्र" बन जाता है।


जहाँ हम सही और गलत का निर्णय लेकर सही मार्ग पर चलते हैं, वह धर्मक्षेत्र कहलाता है।


संदेश:

हमेशा सच और न्याय का साथ दें। हर जगह को "धर्मक्षेत्र" मानें।


(2. कुरुक्षेत्रपरिभाषा:)

कुरुक्षेत्र जीवन का वह स्थान है जहाँ हमें अपने कर्मों (कर्तव्यों) को पूरी ईमानदारी और मेहनत से निभाना होता है।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

आपका स्कूल, जहाँ आपको पढ़ाई करनी है, खेलों में भाग लेना है और दूसरों का सम्मान करना है, वह आपका "कुरुक्षेत्र" है।


घर में अपने माता-पिता की मदद करना, छोटे भाई-बहनों का ख्याल रखना भी आपका कर्मक्षेत्र है।


संदेश:

हर जगह अपने कर्तव्यों को जिम्मेदारी से निभाएं। यही आपका "कुरुक्षेत्र" है।


(3. समवेता परिभाषा:)

समवेता का अर्थ है एकत्र होना, या किसी उद्देश्य के लिए मिलकर काम करना।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जब आप अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट बनाते हैं या किसी खेल में टीम की तरह काम करते हैं, तो वह "समवेता" होता है।

परिवार में त्योहार मनाने के लिए सभी लोग मिलकर काम करते हैं, वह भी समवेता का उदाहरण है।


संदेश:

मिल-जुलकर काम करने से हर काम आसान और सफल होता है।



(4. युयुत्सवः परिभाषा:)

युयुत्सवः का अर्थ है संघर्ष करने की इच्छा और जीतने की प्रबल भावना।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जब आपको गणित का कठिन सवाल हल करना हो, और आप हार मानने की बजाय बार-बार कोशिश करें, तो यह आपकी "युयुत्सवः" भावना है।

किसी खेल में हारने के बाद भी जीतने के लिए मेहनत करना इसका उदाहरण है।


संदेश:

संघर्ष से घबराएं नहीं। हर मुश्किल के बाद जीत मिलती है।



अंतिम संदेश बच्चों के लिए:

धर्मक्षेत्र हमें सिखाता है कि हमेशा सच और न्याय का पालन करें।

कुरुक्षेत्र हमें याद दिलाता है कि हमारे कर्म ही हमारा भविष्य बनाते हैं।

समवेता यह बताता है कि मिल-जुलकर काम करने से हर मुश्किल हल हो सकती है।

युयुत्सवः हमें संघर्ष और मेहनत का महत्व समझाता है।


शिक्षा:

"जीवन का हर कदम एक धर्मक्षेत्र है, हर जगह एक कुरुक्षेत्र है। अगर हम सभी मिलकर (समवेता) काम करें और संघर्ष (युयुत्सवः) करने का साहस रखें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।"




        ।।मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥


1.मामकाः: अपने परिवार और दोस्तों से प्यार करें, लेकिन सही और गलत का भेद करना न भूलें।

2.पाण्डवाश्चैव: केवल अपने पक्ष का साथ देने के बजाय, सभी के नजरिए को समझें।

3.किमकुर्वत: हमेशा सवाल करें और हर स्थिति को सोच-समझकर निर्णय लें।

4.सञ्जय: हर बात को निष्पक्ष होकर देखने और समझने की आदत डालें।


(1. मामकाःपरिभाषा:)

"मामकाः" का अर्थ है मेरे लोग या मेरे अपने। यह अपने परिवार, दोस्तों, और प्रियजनों की ओर इशारा करता है।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जैसे आपके माता-पिता, भाई-बहन, और दोस्त आपके "मामकाः" हैं।

स्कूल में आपका कक्षा का समूह, जिनके साथ आप खेलते और पढ़ते हैं, वह भी आपके "मामकाः" हो सकते हैं।


संदेश:

अपने "मामकाः" के प्रति प्यार, देखभाल और जिम्मेदारी का भाव रखें।

लेकिन केवल अपने लोगों का साथ न दें, बल्कि सही और गलत का अंतर समझें।


(2. पाण्डवाश्चैव परिभाषा:)

"पाण्डवाश्चैव" का अर्थ है पाण्डव और उनके साथी। यह दर्शाता है कि हर समूह में हमारे अपने और दूसरे पक्ष के लोग होते हैं।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जैसे खेल के मैदान में, जब दो टीमें बनती हैं—एक आपकी टीम (मामकाः) और दूसरी विपक्षी टीम (पाण्डवाश्चैव)।

परिवार में, जब विचार अलग होते हैं, तो समझें कि हर व्यक्ति अपने तरीके से सही हो सकता है।


संदेश:

केवल अपने पक्ष का समर्थन न करें। निष्पक्ष होकर सबकी बात सुनें और सही का साथ दें।


(3. किमकुर्वत परिभाषा:)

"किमकुर्वत" का अर्थ है उन्होंने क्या किया। यह सवाल करने और किसी स्थिति को समझने का संकेत देता है।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जब क्लास में कुछ हुआ और आप पूछते हैं, "उन्होंने ऐसा क्यों किया?" यह "किमकुर्वत" का भाव है।


परीक्षा में किसी प्रश्न का उत्तर नहीं आता, तो सोचें, "मुझे इसे कैसे हल करना चाहिए?"


संदेश:

सवाल पूछना और स्थिति को समझना, निर्णय लेने से पहले बहुत जरूरी है।


(4. सञ्जय परिभाषा:)

"सञ्जय" वह व्यक्ति है जो हर परिस्थिति को देखता है, समझता है, और निष्पक्ष होकर रिपोर्ट करता है।


बच्चों को समझाने के लिए,,,,

उदाहरण:

जैसे स्कूल में एक मॉनिटर, जो सबकी गतिविधियों पर ध्यान देता है और शिक्षक को सही-सही जानकारी देता है।

एक पत्रकार, जो समाज में हो रही घटनाओं को निष्पक्ष होकर प्रस्तुत करता है।


संदेश:

हमेशा सच्चाई के आधार पर बात करें। निष्पक्षता से काम करना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।




        ।।मूल भगवत गीता श्लोक का मर्म।।


धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।

मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥


धृतराष्ट्र कहते हैं:

"हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा रखने वाले मेरे पुत्र (कौरव) और पांडु के पुत्र (पांडव), जो वहाँ एकत्र हुए हैं, उन्होंने क्या किया?



Zarra Singh 


बन रहा है सौ चाभी

ताला खुलेगा एक से 

ढूंढने में समय ना लगाओ 

बनाए लो झट से 


है कर्म धर्म साथ तुम्हारे 

सही रास्ता बनाएगा 

सूत्र से सूत्र मिलते ही 

ताला खुल जाएगा 


निन्यानबे, चाभी सरगलके

कहीं खो जाएगा 

एक चमक मन के अंदर 

जरूर रह जाएगा


बन रहा है सौ चाभी

ताला खुलेगा एक से 

ढूंढने में समय ना लगाओ 

बनाए लो, झट से             

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