भगवत गीता ,अध्याय 1, श्लोक 10

 भगवत गीता ,अध्याय 1, श्लोक 10 


श्लोक:

अपरीयतं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।

पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥

हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।


हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।

अनुवाद:

"हमारी सेना, जो भीष्म द्वारा संरक्षित है, अपर्याप्त प्रतीत होती है; जबकि उनकी सेना, जो भीम द्वारा संरक्षित है, पर्याप्त और शक्तिशाली प्रतीत होती है।"


शब्दार्थ:

सरल अर्थ

01.अपरीयतं: अपरियाप्तं का मतलब है कि कुछ ऐसा जो कम हो, अधूरा हो, या पूरी तरह से सक्षम न हो।

उदाहरण:

"बच्चों, सोचो कि तुम्हें स्कूल का एक प्रोजेक्ट पूरा करना है, लेकिन तुम्हारे पास रंग भरने के लिए सिर्फ दो ही रंग हैं, जबकि तुम्हें पाँच रंग चाहिए। तो इसे हम 'अपर्याप्त' कहेंगे, क्योंकि तुम्हारे पास पूरे रंग नहीं हैं।"

हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।


हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।

02.तदस्माकं बलं: 

तदस्माकं बलं का अर्थ है हमारा बल या हमारी ताकत। इसमें 'बल' का मतलब सिर्फ शारीरिक ताकत नहीं, बल्कि सामूहिक शक्ति, सहयोग, और आत्मविश्वास से भी है।

उदाहरण: 

"बच्चों, सोचो कि तुमने और तुम्हारे दोस्तों ने एक साथ मिलकर क्रिकेट का मैच जीता। यहाँ 'तुम्हारी टीम' ही तुम्हारा बल है। क्योंकि अकेले खेलना मुश्किल होता, लेकिन सबके साथ मिलकर मेहनत की, तो वह 'तदस्माकं बलं' यानी 'हमारा बल' बना।"

हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।

हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।

03.भीष्म-अभिरक्षितम्: भीष्म द्वारा रक्षित (संरक्षित)

भीष्म-अभिरक्षितम् का अर्थ है भीष्म द्वारा रक्षित यानी वह जो भीष्म के द्वारा सुरक्षित और संरक्षित है।

सरल व्याख्या:

महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना का नेतृत्व और सुरक्षा भीष्म पितामह कर रहे थे। उनका ज्ञान, अनुभव, और शौर्य ही कौरव सेना की सबसे बड़ी ताकत थी।

यह वाक्य बताता है कि जब कोई अनुभवी और मजबूत व्यक्ति किसी चीज़ की रक्षा करता है, तो वह सुरक्षित और मजबूत हो जाती है।

04.पर्याप्तं: पर्याप्तं का अर्थ है पर्याप्त या प्रचुर मात्रा में।

जब किसी चीज़ की मात्रा इतनी होती है कि उससे काम अच्छी तरह से हो सके, तो उसे पर्याप्त कहते हैं। इसका मतलब यह है कि जरूरत के मुताबिक सब कुछ मौजूद है, कमी नहीं है।

उदाहरण: 

"बच्चों, जैसे तुम्हें खेलने के लिए पर्याप्त समय और पढ़ाई के लिए पर्याप्त किताबें चाहिए, वैसे ही युद्ध में सेना को जीतने के लिए पर्याप्त सैनिक, हथियार और भोजन की जरूरत होती है। यदि यह सब पर्याप्त हो, तो सफलता मिलने की संभावना घट जाती है।"

05.त्विदम्: परंतु यह

त्विदम् का अर्थ है परंतु यह। यह शब्द तब प्रयोग होता है जब किसी चीज़ की तुलना या विरोधाभास दिखाना हो। इसका मतलब होता है, "लेकिन यह" या "परंतु यह।"

उदाहरण: 

"बच्चों, जैसे अगर तुम कहो, 'मेरी कक्षा के सभी बच्चे शरारती हैं, परंतु यह बच्चा बहुत मेहनती है,' तो तुम किसी विशेष बात को समझा रहे हो।"

06.एतेषां बलं: एतेषां बलं का अर्थ है उनकी सेना या शत्रुओं की सेना।

सरल व्याख्या:

यह शब्द यह बताने के लिए प्रयोग होता है कि दूसरे पक्ष या विरोधी दल के पास क्या शक्ति या ताकत है।

उदाहरण: 

"बच्चों, जैसे खेल के मैदान में दो टीमें होती हैं। तुम अपनी टीम की ताकत को देखो और कहो कि हमारी टीम बहुत मजबूत है, और दूसरी टीम की ताकत को उनकी सेना कहा जाएगा।"

07.भीम-अभिरक्षितम्: भीम द्वारा रक्षित (संरक्षित)

भीम-अभिरक्षितम् का अर्थ है भीम द्वारा रक्षित या भीम द्वारा संरक्षित।

सरल व्याख्या:

इस शब्द से पता चलता है कि भीम, जो महाभारत के महान योद्धा थे, किसी चीज़ की रक्षा कर रहे हैं या उसे सुरक्षित रख रहे हैं।

उदाहरण: 

"बच्चों, जैसे तुम्हारे परिवार में कोई बड़ा भाई या बहन तुम्हारी सुरक्षा करता है और तुम उसकी देखभाल में सुरक्षित महसूस करते हो, वैसे ही महाभारत में भीम अपनी सेना और साथियों की रक्षा कर रहे थे। यह दिखाता है कि एक योद्धा के लिए अपने लोगों की रक्षा करना सबसे बड़ा कर्तव्य है।"

हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।


हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।

कविता मन की सच्चाई

।।ZARRA SINGH।।

इस संसार में सीमित हो जाए 

झगड़ा और लड़ाई 

लड़ने के लिए मैदान ना रहे 

प्रेम में ना हो जुदाई 


प्रेम से मिल जाए सारे ईश्वर 

प्रेम से सुने पत्थर 

हाथ जोड़कर शिव को पुकारो 

शिवजी है महेश्वर


विनती सुनिए है शिवजी 

कभी किसी से ना हो लड़ाई 

मन के अंदर भक्ति दीजिए 

पूरा कर पाऊँ पढ़ाई 


आराधना और साधना 

साथ आ जाए सच्चाई

सत्य जितनी शिवजी है 

उतनी है रघुराई 


इस संसार में सीमित हो जाए 

झगड़ा और लड़ाई

मन हो प्रेम मय 

और जीवन में सच्चाई


।।ZARRA SINGH।।

।विशेष आग्रह।।

"प्रिय बच्चों, आप जब अपनी उम्र से बड़े हो जाओगे और जीवन के अनुभवों से गुजरेंगे, तब अवश्य संपूर्ण भगवद्गीता का गहराई से अध्ययन करें। यह ज्ञान न केवल आपके जीवन को सही दिशा देगा, बल्कि समाज में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने में भी सहायक होगा।"   

"अगर अगले 20 सालों में 20% बच्चे भी गीता का ज्ञान अपनाते हैं, तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा।"आप भी सहायक बनिए। कम से कम 20 बच्चों को आप प्रदान कर दीजिए इस लेख को।।

                

फिर मिलते हैं नई-नई खोज के साथ।। आपके लिए।।

भगवत गीता के अध्याय 1, श्लोक 11 के विशेष पर्व में।।

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