भगवद गीता, अध्याय 1, श्लोक 11

भगवद गीता, अध्याय 1, श्लोक 11

 श्लोक:

अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।

भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥


श्लोक का अर्थ:

"सभी अपने-अपने नियत मोर्चों पर स्थित रहें और आप सब लोग पितामह भीष्म की पूरी सुरक्षा करें।"

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

शब्दार्थ और विवरण:

बच्चों को समझाने के लिए 

1. अयनेषु (अयनों में):

अर्थ: "अयनेषु" का मतलब है मोर्चों या स्थानों में।

युद्ध में जहां-जहां सेनाएं खड़ी थीं, उन सभी जगहों को "अयन" कहा गया है।

"अयनेषु" का मतलब उन जगहों से है जहां योद्धा अपनी लड़ाई के लिए खड़े थे। जैसे स्कूल में क्लासरूम में सबकी अपनी-अपनी सीट होती है और वहां से सब पढ़ाई करते हैं, वैसे ही युद्ध में भी हर योद्धा की अपनी जगह होती थी।

यह जगहें योद्धाओं को जिम्मेदारी और अनुशासन का पालन करना सिखाती थीं।

प्रेरणा: जैसे युद्ध में योद्धा अपनी जगह पर डटे रहते थे, वैसे ही हमें अपनी पढ़ाई, खेल, और जिम्मेदारियों में मन लगाना चाहिए।

हर किसी की जगह और जिम्मेदारी होती है। अपनी जगह को सम्मान देना और अपना काम पूरी लगन से करना चाहिए।"

2. च सर्वेषु (और सभी में):

अर्थ: सभी मोर्चों या स्थानों पर।

विवरण: यह दर्शाता है कि पूरे युद्धक्षेत्र में प्रत्येक योद्धा अपने कार्य के लिए जिम्मेदार था।

सरल उदाहरण: जैसे क्रिकेट मैच में हर खिलाड़ी अपनी जगह (फील्डिंग पोज़ीशन) पर होता है। अगर सभी खिलाड़ी अपनी-अपनी जगह पर ध्यान दें, तो टीम जीत जाती है।

घर में, अगर सब मिलकर अपना काम करें—जैसे कोई सफाई करे, कोई खाना बनाए—तो घर खुशहाल रहता है।

3. यथाभागम् (अपने-अपने हिस्से के अनुसार):

अर्थ: अपने-अपने हिस्से के अनुसार।

विवरण: इसका मतलब है कि सभी योद्धा अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं।

सरल उदाहरण: जैसे एक घर में हर किसी का काम होता है—पापा ऑफिस जाते हैं, मम्मी खाना बनाती हैं, और बच्चे पढ़ाई करते हैं। सब अपना-अपना काम करें, तो परिवार खुश रहता है।

स्कूल में हर किसी की जिम्मेदारी होती है—टीचर पढ़ाते हैं, और बच्चे सुनकर सीखते हैं। अगर कोई अपनी जिम्मेदारी न निभाए, तो काम अधूरा रह जाता है।

4. अवस्थिताः (स्थित रहें):

अर्थ: स्थिर रहें।

विवरण: इससे योद्धाओं की अनुशासन और दृढ़ता का संकेत मिलता है।

सरल उदाहरण: जैसे जब तुम चित्र बनाते हो, तो ध्यान लगाकर उसे पूरा करते हो। अगर बीच में मन भटक जाए, तो चित्र अधूरा रह जाता है।

परीक्षा के समय अगर तुम खेल के बारे में सोचने लगोगे, तो अच्छे अंक नहीं आ पाएंगे। इसलिए मन को स्थिर रखना जरूरी है।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

5. भीष्मम् (भीष्म):

अर्थ: पितामह भीष्म।

विवरण: "भीष्म" का मतलब है पितामह भीष्म, जो महाभारत के सबसे सम्माननीय और वीर योद्धाओं में से एक थे।

वे कौरवों के सेनापति और उनके सबसे बड़े संरक्षक थे।

बच्चों को समझाने के लिए सहज विवरण।

पितामह भीष्म बहुत बुद्धिमान, वीर, और धर्म के ज्ञाता थे। उनका जीवन यह सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और धैर्य के साथ करना चाहिए।

भीष्म ने अपने वचन को निभाने के लिए बहुत बड़ा त्याग किया। वे हमेशा सही और गलत का अंतर समझते थे।

6. एव (ही):

अर्थ: निश्चय ही।

सरल उदाहरण: जैसे अगर तुम्हारी कक्षा में कोई बच्चा हमेशा सबकी मदद करता है और मेहनत से पढ़ाई करता है, तो वह निश्चय ही (एव) सबके लिए प्रेरणा बन जाता है।

"एव" यह बताता है कि अच्छे काम की पहचान हमेशा होती है।

प्रेरणा: हर व्यक्ति के जीवन में कुछ लोग होते हैं जिनका महत्व निश्चय ही बहुत बड़ा होता है।

हमें अपने काम में ऐसा योगदान देना चाहिए कि लोग हमारी उपस्थिति को महत्वपूर्ण मानें।

7. अभिरक्षन्तु (सुरक्षा करें):

अर्थ: रक्षा करें।

विवरण: यह कौरव सेना को दिया गया आदेश था कि पितामह की सुरक्षा सर्वोपरि है।

बच्चों को समझाने के लिए सहज विवरण।

रक्षा का मतलब सिर्फ शारीरिक सुरक्षा नहीं है, बल्कि अपने परिवार, दोस्तों और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाना भी है।

जैसे तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी सुरक्षा करते है, वैसे ही हमें अपने बड़े-बुजुर्गों और दोस्तों की मदद करनी चाहिए।

8. भवन्तः (आप सभी):

अर्थ: आप सब लोग।

"भवन्तः" का मतलब है "आप सब लोग"।

बच्चों को समझाने का तरीका:

"भवन्तः" का मतलब है सभी लोगों को एक साथ संबोधित करना।

जैसे जब शिक्षक कक्षा में सब बच्चों से कहते हैं, "सुनो, बच्चों!"

सरल उदाहरण: सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए।टीमवर्क (सामूहिक प्रयास) से बड़े काम पूरे होते हैं

जैसे जब खेल का समय होता है, तो तुम्हारी टीम के सभी 

सदस्य मिलकर एक साथ खेलते हैं।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

9. सर्व एव हि (सभी निश्चय ही):

अर्थ: निश्चय ही आप सब।

"सर्व" का मतलब है "सभी" और "एव हि" का मतलब है "निश्चय ही।"

यहां दुर्योधन ने अपनी सेना को स्पष्ट रूप से कहा कि सभी को पूरी गंभीरता से अपना काम करना है।

खेल का उदाहरण: मान लीजिए, क्रिकेट खेलते समय कप्तान अपनी टीम से कहता है, "सभी को अपनी जगह पर रहना है और ध्यान से खेलना है।"

यहां "सर्व एव हि" का मतलब है कि हर खिलाड़ी को जिम्मेदारी निभानी है।

।।ZARRA SINGH।।


निश्चय हो मन में 

और आनंद तन में 

हर्ष आए चल के 

अपने ही जीवन में 


एकता में मन रहे 

चंचलता से परे 

किंतु परंतु में उलझ जाएं 

जीवन सारे 


आज करें सो अभी 

कभी देर ना करें 

अभी ताजगी पास है 

तो अभी शुरू करें 


खुशी आए चल के 

तभी जीवन में

निश्चय हो मन में 

और आनंद तन मे

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

ओम भगवते नमः।। जय श्री कृष्णा।। ओम भगवते नमः।

।।ZARRA SINGH।।

।विशेष आग्रह।।

"प्रिय बच्चों, आप जब अपनी उम्र से बड़े हो जाओगे और जीवन के अनुभवों से गुजरेंगे, तब अवश्य संपूर्ण भगवद्गीता का गहराई से अध्ययन करें। यह ज्ञान न केवल आपके जीवन को सही दिशा देगा, बल्कि समाज में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने में भी सहायक होगा।"   

"अगर अगले 20 सालों में 20% बच्चे भी गीता का ज्ञान अपनाते हैं, तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा।"आप भी सहायक बनिए। कम से कम 20 बच्चों को आप प्रदान कर दीजिए इस लेख को।।

                

फिर मिलते हैं नई-नई खोज के साथ।। आपके लिए।।

भगवत गीता के अध्याय 1, श्लोक 12 के विशेष पर्व में।।

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