भगवत गीता श्लोक 02
श्लोक:02"
सञ्जय उवाच | दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत्॥"
(1. सञ्जय उवाच)
सञ्जय के द्वारा वचन बोलना।
बच्चों को समझाने के लिए:
यह वाक्य उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जो घटनाओं को देख और समझ कर दूसरे को बताता है। जैसे आप जब किसी खेल में कुछ देखते हैं और अपनी मित्र को बताते हैं, तो आप सञ्जय की तरह होते हैं।
(2. दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं)
पाण्डवों की सेना को देखकर।
बच्चों को समझाने के लिए:
यह इस बात को बताता है कि सञ्जय ने पाण्डवों की सेना को देखा, जैसे कोई दोस्त अपनी टीम के खिलाड़ीयों को देखकर उनकी स्थिति के बारे में बताता है।
(3. व्यूढं दुर्योधनस्तदा)
दुर्योधन ने उस व्यूह (सैन्य की व्यवस्था) को देखा।
बच्चों को समझाने के लिए:
यह बताता है कि दुर्योधन ने पाण्डवों के सैन्य की योजना को देखा और वह सोचने लगा कि इस लड़ाई को कैसे जीता जाए। यह उदाहरण उस समय का है जब किसी व्यक्ति को किसी बड़ी योजना का सामना करना पड़ता है।
(4. आचार्यमुपसंगम्य)
आचार्य (गुरु) के पास जाकर।
बच्चों को समझाने के लिए:
यह बताता है कि दुर्योधन ने अपने गुरु से सलाह ली, जैसे आप अपने अध्यापक या मार्गदर्शक से मदद लेने जाते हैं जब कोई कठिनाई होती है।
(5. राजा वचनमब्रवीत्)
राजा ने वचन (कहा) कहा।
बच्चों को समझाने के लिए:
दुर्योधन ने गुरु से कहा कि वह पाण्डवों के सैन्य को देखकर चिंतित है और उसे सलाह चाहिए। यह उस समय का उदाहरण है जब हम किसी गंभीर परिस्थिति में अपने बड़े-बूढ़ों से मार्गदर्शन लेते हैं।
अंतिम संदेश:
सन्देश: इस श्लोक से यह सिखाते हैं कि हर बड़े फैसले से पहले हमें अपने ज्ञानवान मार्गदर्शक से सलाह लेनी चाहिए। चाहे वह गुरु हो या कोई और विश्वसनीय व्यक्ति, उनका मार्गदर्शन हमें सही दिशा दे सकता है।
शिक्षा:
"जैसे दुर्योधन ने अपने गुरु से सलाह ली, वैसे ही हमें भी हर कठिनाई का सामना करते समय अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों से सलाह लेनी चाहिए, ताकि हम सही निर्णय ले सकें।"
Zarra Singh
ज्ञान, गुरु से बड़ा है,
ईया,गुरु ज्ञान से बड़ा
गुन सरलता से, ठहरे जहां
वह, वही बन जाए, बड़ा
बढ़ते रहो तुम भी बच्चों
भरकर ज्ञान का घड़ा
संपूर्ण जीवन काम आएगा
जब तक रहे, धरा
1. "ज्ञान, गुरु से बड़ा है,"
ज्ञान का महत्व गुरु से भी अधिक है।
2. "ईया, गुरु ज्ञान से बड़ा,"
गुरु बिना कोई ज्ञान आगे नहीं बढ़ सकता है
3. "गुण सरलता से, ठहरे जहां,"
तुम्हारे अंदर गुण अच्छे से अगर रह जाता है
4. "वह, वही बन जाए, बड़ा,"
वही व्यक्ति महान बनता है जो सरलता और अच्छे गुणों को अपनाता है।
5. "बढ़ते रहो तुम भी बच्चों,"
बच्चों से कहा गया है कि वे हमेशा आगे बढ़ें, सीखते रहें।
6. "भरकर ज्ञान का घड़ा,"
ज्ञान का भंडार अपने अंदर भरते रहो।
7. "संपूर्ण जीवन काम आएगा,"
यह ज्ञान और सीख जीवन में हमेशा काम आएगा।
8. "जब तक रहे, धरा,"
जब तक धरती पर जीवन रहेगा, तब तक ज्ञान उपयोगी रहेगा।
Zarra Singh का प्रेम,,
कविता का मुख्य संदेश यह है कि ज्ञान और गुरु का महत्व बहुत अधिक है, और जो सरलता से जीवन जीता है, वही सच्चा महान बनता है।
।।ZARRA SINGH।।
।।विशेष आग्रह।।
"प्रिय बच्चों, आप जब अपनी उम्र से बड़ी हो जाओगे और जीवन के अनुभवों से गुजरेंगे, तब अवश्य संपूर्ण भगवद्गीता का गहराई से अध्ययन करें। यह ज्ञान न केवल आपके जीवन को सही दिशा देगा, बल्कि समाज में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने में भी सहायक होगा।"
"अगर अगले 20 सालों में 20% बच्चे भी गीता का ज्ञान अपनाते हैं, तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा।"आप भी सहायक बनिए। कम से कम 20 बच्चों को आप प्रदान कर दीजिए इस लेख को।।
आज का बीच कल फल बनेगा।
कल का बीज फिर से पेड़ बनेगा।
आजअगर रोपण ना किया तो।
कल का फल कैसे मिलेगा।
।। ZARRA SINGH ।।
फिर मिलते हैं नई-नई खोज के साथ।। आपके लिए।।
भगवत गीता के अध्याय 1, श्लोक 03 के विशेष पर्व में।।



Comments
Post a Comment