भगवत गीता01/06
भगवत गीता01/06
(श्रीमद्भागवत गीता, अध्याय 1, श्लोक 6)
।।भगवत गीता।।भगवत गीता।।भगवत गीता।।
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मूल श्लोक:
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः।।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
श्लोक का अर्थ:
इस सेना में युधामन्यु, उत्तमौजा, अभिमन्यु (सौभद्र), और द्रौपदी के पुत्र जैसे वीर योद्धा सम्मिलित हैं। ये सभी महायुद्ध करने में सक्षम महारथी हैं।
1. युधामन्युश्च (युधामन्यु):
अर्थ: युधामन्यु पांडवों की ओर से लड़ने वाला वीर योद्धा था।
बच्चों के लिए प्रेरक संदर्भ:
बच्चों, युधामन्यु एक ऐसा योद्धा था जिसने हमेशा धर्म, सत्य, और अपने कर्तव्य का पालन किया। उसका जीवन हमें सिखाता है कि किसी भी स्थिति में साहस और धैर्य से काम लेना चाहिए।
- हृदय पूरे शरीर में रक्त प्रवाहित करता है, जैसे युधामन्यु ने युद्ध में पूरे दल का उत्साह बढ़ाया।
- हृदय कभी रुकता नहीं है, वह लगातार चलता रहता है, जैसे युधामन्यु अपने कर्तव्यों में अडिग रहा।
बच्चों के लिए सीख:
अपने दिल को हमेशा सच्चाई और अच्छाई के लिए समर्पित रखें।
जैसे हमारा हृदय हमारे शरीर को जीवन देता है, वैसे ही हमें अपने कार्यों और विचारों से दूसरों को प्रेरणा देनी चाहिए।
जीवन में आने वाली कठिनाइयों से डरो मत, उनका युधामन्यु की तरह साहस से सामना करो।
2. विक्रान्त (विक्रांत):
अर्थ: पराक्रमी और अत्यंत शक्तिशाली।
बच्चों के लिए प्रेरक संदर्भ:
बच्चों, विक्रांत का मतलब होता है अत्यधिक पराक्रमी और शक्तिशाली। यह हमें सिखाता है कि अपनी शक्तियों को सही दिशा में उपयोग करना चाहिए। असली शक्ति केवल बाहरी नहीं होती, बल्कि आत्मविश्वास और संयम से भी होती है।
- भुजाएं शरीर का सबसे प्रमुख साधन हैं, जिनसे हम हर कार्य को संपन्न करते हैं।
- जैसे विक्रांत अपनी शक्ति से धर्म की रक्षा करता था, वैसे ही हमारी भुजाएं हमें काम करने, रक्षा करने और दूसरों की मदद करने में सक्षम बनाती हैं।
- भुजाएं केवल बाहुबल का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि आत्म-निर्भरता और कर्मठता का भी उदाहरण हैं।
बच्चों के लिए सीख:
अपनी भुजाओं को सही कार्यों में लगाओ, जैसे दूसरों की सहायता करना और अपने सपनों को पूरा करना।
याद रखें, असली ताकत आपके कर्मों और विचारों में होती है।
जैसे हमारी भुजाएं शरीर का संतुलन बनाए रखती हैं, वैसे ही हमें अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
"सही शक्ति वही है जो न केवल तुम्हें, बल्कि समाज को भी आगे बढ़ाए। अपनी ताकत को हमेशा अच्छे कामों में लगाओ।"
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
3. उत्तमौजाश्च (उत्तमौज):
अर्थ: उत्तमौजा पांडवों का एक अन्य वीर योद्धा था।
"उत्तमौजा" का अर्थ है "श्रेष्ठ ऊर्जा"। यह हमें सिखाता है कि जीवन में जोश और ऊर्जा के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता।
- जैसे सांस हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है, वैसे ही उत्तमौजा पांडवों के लिए ऊर्जा और साहस का प्रतीक था।
- सांस क्रिया ही शरीर को जीवन का प्रवाह देती है, जैसे उत्तमौजा ने युद्ध में जीवन शक्ति का प्रदर्शन किया।
- सांस की नियमितता और शुद्धता शहद की मिठास की तरह है
यह हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाती है।
सांस क्रिया (श्वसन): गहरी और सही तरीके से सांस लेना शरीर और मस्तिष्क को ताजगी देता है। यह ऊर्जा का मूल स्रोत है, जैसे उत्तमौजा ने अपने साहस से पांडवों की ऊर्जा को बढ़ाया।
बच्चों के लिए प्रेरणा:
रोज़ कुछ मिनट गहरी सांस लेकर ध्यान करें, ताकि आपकी ऊर्जा उत्तमौजा की तरह श्रेष्ठ बने।
"सांसें जीवन की ऊर्जा हैं। इन्हें उत्तमौजा की तरह श्रेष्ठ और शुद्ध बनाए रखें।"
4. वीर्यवान् (वीर्यवान):
अर्थ: अत्यधिक साहसी और शक्तिशाली।
बच्चों के लिए प्रेरक संदर्भ:
"वीर्यवान्" शब्द न केवल शारीरिक शक्ति, बल्कि मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
- जैसे दिमाग पूरे शरीर को नियंत्रित करता है और ऊर्जा के प्रवाह को दिशा देता है, वैसे ही वीर्यवान् का साहस और बुद्धिमत्ता हर समस्या को हल करने की शक्ति देता है।
- दिमाग समस्याओं का समाधान करता है, निर्णय लेता है, और नई सोच विकसित करता है।
- दिमाग जितना शांत और केंद्रित रहेगा, उतनी ही उसकी कार्यक्षमता बढ़ेगी। इसी तरह, वीर्यवान् का साहस भी सोच-विचार और मानसिक शक्ति से आता है।
बच्चों के लिए संदेश:
दिमाग का देखभाल: बच्चों को बताएं कि अच्छा आहार, पर्याप्त नींद, और नई चीजें सीखने से दिमाग तेज और सक्रिय रहता है।
सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा: उन्हें सिखाएं कि मानसिक शक्ति, ध्यान, और सकारात्मक सोच से वे हर कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
बच्चों के लिए प्रेरणा:
साहस और बुद्धिमत्ता: हर स्थिति में दिमाग का उपयोग करके सही निर्णय लें और वीर्यवान् की तरह साहस दिखाएं।
नवीनता: नए विचार और रचनात्मक सोच से जीवन को बेहतर बनाएं।
"जैसे दिमाग हमारे पूरे शरीर का संचालन करता है और हमें सोचने की शक्ति देता है, वैसे ही वीर्यवान् का साहस और विवेक हर समस्या का समाधान करता हैं। अपने दिमाग को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाओ।"
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
5. (सौभद्र):
अर्थ: अभिमन्यु, जो सुभद्रा और अर्जुन का पुत्र था।
विवरण: अभिमन्यु अपनी वीरता और युद्ध कौशल के लिए प्रसिद्ध था। उसने चक्रव्यूह में अद्भुत पराक्रम दिखाया।
बच्चों के लिए,,उदाहरण:
जैसे आंख हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें दुनिया देखने की शक्ति देता है, वैसे ही अभिमन्यु ने अपने अद्भुत कौशल और वीरता से युद्ध के मैदान में सबको देख लिया था। आंखें हमें सही दिशा दिखाती हैं, और जैसे अभिमन्यु ने युद्ध में अपनी दिशा और लक्ष्य को बिना देखे भी समझ लिया, वैसे ही उसकी वीरता और साहस ने उसे अजेय बना दिया।
बचन:
“आंख की तरह जो हर परिस्थिति में खुद को और अपने लक्ष्य को पहचान सके, वही सबसे बड़ा योद्धा होता है।”
स्वस्थ और सक्षम शरीर, जैसे आंखों की महत्ता, हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आंखों का जतन करें।
विश्राम देने की कोशिश करें। आवश्यक के बिना टीवी मोबाइल ना देखें।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
6. द्रौपदेयाश्च (द्रौपदेय):
अर्थ: द्रौपदी के पाँच पुत्र।
विवरण: ये पाँचों पांडवों और द्रौपदी के पुत्र थे—प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतनिक, और श्रुतसेन। सभी धर्म और वीरता के प्रतीक थे।
बच्चों के लिए,,,उदाहरण:
जैसे हाथ में पाँच अंगुलियाँ होती हैं, जो एक साथ मिलकर हमारे कार्यों को सम्पन्न करती हैं, वैसे ही द्रौपदेय (द्रौपदी के पाँच पुत्र) ने मिलकर अपने परिवार और धर्म की रक्षा की। प्रत्येक अंगुली अपनी विशेषता के साथ काम करती है, लेकिन सबका सामूहिक कार्य ही ताकत बनता है।
बचन:
“हाथ की पाँच अंगुलियाँ मिलकर ताकत बनाती हैं, वैसे ही पाँच भाई मिलकर धर्म और वीरता की मिसाल बनते हैं।”
इससे बच्चों को यह संदेश मिलेगा कि जैसे अंगुलियाँ अलग-अलग होती हैं, लेकिन एक साथ मिलकर काम करती हैं, वैसे ही परिवार के सदस्य या साथी एक-दूसरे की मदद से बड़े कार्य कर सकते हैं।
7. सर्व एव महारथाः (सभी महारथी):
अर्थ: वे सभी महान योद्धा थे।
विवरण: श्लोक यह बताता है कि ये सभी योद्धा युद्ध में न केवल अद्वितीय थे, बल्कि उनकी रणनीतिक और युद्धक क्षमता भी अद्भुत थी।
बच्चों के लिए,,,उदाहरण:
जैसे एक युद्ध में हर योद्धा का योगदान महत्वपूर्ण होता है, वैसे ही हमारे शरीर के हर अंग का योगदान महत्वपूर्ण होता है। अगर एक अंग भी सही से काम न करे, तो शरीर पूरी तरह से काम नहीं कर सकता। जैसे सभी महारथी मिलकर युद्ध जीतने के लिए काम करते हैं, वैसे ही हमारे शरीर के सभी अंग मिलकर जीवन को सुचारू रूप से चलाते हैं।
बचन:
"जैसे युद्ध में सभी महारथी मिलकर विजय प्राप्त करते हैं, वैसे ही हमारे शरीर के हर अंग मिलकर जीवन की बड़ी लड़ाई जीतते हैं।"
सारांश:
यह श्लोक पांडव पक्ष के प्रमुख योद्धाओं की वीरता और उत्कृष्टता का वर्णन करता है, जो धर्म और सत्य की रक्षा के लिए समर्पित थे।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
।।ZARRA SINGH।।
जीवन के लिए शरीर चाहिए
शरीर के लिए स्वास्थ्य
सुस्वास्थ्य के लिए, मन चाहिए
मन के लिए मनोरथ
भगवत से शुरू भगवत में अंत
समझे जो, वह है महंत
अनंत कथा से, मन को बनाएं
आत्मा को बनाए अनंत
तुरंत नहीं तो कभी तो पढ़िये
भगवत कराये है शांत
समय रहते पढ़ लीजिए
मन से मिटे अशांत
भागवत गुरु भागवत वेदांत
पढे जो, वह है महंत
अनंत कथा से, मन को बनाएं
आत्मा को बनाए अनंत
जय भागवत,,
।।ZARRA SINGH।।
।।विशेष आग्रह।।
"प्रिय बच्चों, आप जब अपनी उम्र से बड़ी हो जाओगे और जीवन के अनुभवों से गुजरेंगे, तब अवश्य संपूर्ण भगवद्गीता का गहराई से अध्ययन करें। यह ज्ञान न केवल आपके जीवन को सही दिशा देगा, बल्कि समाज में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने में भी सहायक होगा।"
"अगर अगले 20 सालों में 20% बच्चे भी गीता का ज्ञान अपनाते हैं, तो भारत का भविष्य उज्जवल होगा।"आप भी सहायक बनिए। कम से कम 20 बच्चों को आप प्रदान कर दीजिए इस लेख को।।
आज का बीच कल फल बनेगा।
कल का बीज फिर से पेड़ बनेगा।
आजअगर रोपण ना किया तो।
कल का फल कैसे मिलेगा।
।। ZARRA SINGH ।।
फिर मिलते हैं नई-नई खोज के साथ।। आपके लिए।।
भगवत गीता के अध्याय 1, श्लोक 07. के विशेष पर्व में।।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।
हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।।हरे कृष्णा।






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